कांग्रेस और डीएमके के बीच आखिरकार सीटों के बंटवारे को लेकर चले आ रहे घमासान का खात्मा हो गया...पर्दे के पीछे क्या खेल खेला गया ये तो ठीक ठीक कह पाना कठिन है...लेकिन मिल रही खबरों के माने तो पर्दे के पीछे एक बहुत बड़ा खेल खेला गया है...पहले बात कांग्रेस की कमजोरी की करते है...अब देखिए अगर डीएमके यूपीए से नाता तोड़ लेता तो यूपीए को थोड़ी परेशानी तो होती ही...ऐसे में कांग्रेस को मुलायम सिंह यादव की तरफ हाथ बढ़ाना पढ़ता...मुलायम सिंह यादव तो बस इसी ताक में बैठे है...क्योंकि आने वाले यूपी चुनाव में उन्हें कांग्रेस का साथ जो चाहिए...ऐसे में केंद्र में यूपीए का समर्थन तो करते लेकिन इससे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को नुकसान होता...और कांग्रेस के मिशन 2012 को करारा झटका लगता...और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस बी पार्टी के तौर पर हो जाती...जो कि कांग्रेस कतई नहीं चाहेगी...अब बात डीएमके की करते है...ए राजा के 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में फंसने के बाद डीएमके का पूरा कुनबा उसमें फंसता नजर आ रहा है...इसलिए डीएमके भी पूरी तरह से ये नहीं चाहता था कि वो कांग्रेस का साथ छोड़े...क्योंकि ऐसा करना उसके लिए नुकसानदेह था...जिसके चलते डीएके ने सीटों के बदले कांग्रेस से यहीं मांगा होगा कि करूणानिधि की बेटी कनिमोझी, करुणानिधि की पत्नी पर उनके परिवार के अन्य लोगों को सीबीआई की पहुंच से दूर रखा जाए...अब इस खेल के पीछे भला और क्या हो सकता है...दोनों ही दलों की बात बन गई और दुनिया के सामने संबंध टूटने का ड्रामा भी खूब हो गया...अगर आप को लगता है कि मेरी राय या विचार गलत है तो कृपया मार्गदर्शन करें।
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